
मैं कौन हूँ? (22)
रमण महर्षि के उपदेश
ॐ नमो भगवते श्रीरमणाय
मैं कौन हूँ?
22. क्या जाग्रत एवं स्वप्न में कोई भेद नहीं है?
जाग्रत की अवस्था दीर्घ तथा स्वप्न की क्षणिक होती है, इसके अतिरिक्त उनमें कोई भेद नहीं है। जाग्रत अवस्था में, जाग्रत की घटनाएँ जितनी सच लगती हैं, उसी प्रकार स्वप्न के समय, स्वप्न की घटनाएँ भी उतनी ही वास्तविक लगती हैं। स्वप्न में, मन एक दूसरा ही शरीर धारण करता है। जाग्रत एवं स्वप्न, दोनों ही अवस्थाओं में नाम, रूप के विचार एक साथ आते रहते हैं।
मैं कौन हूँ? (22)