मैं कौन हूँ? (19)
रमण महर्षि के उपदेश
ॐ नमो भगवते श्रीरमणाय
मैं कौन हूँ?
19. वैराग्य क्या है?
जैसे ही विचार उदित हों, उनके स्रोत पर ही, उनका बिना कोई अवशेष छोड़े, उन्हें तुरन्त नष्ट कर देना ही वैराग्य है। जैसे एक गोताखोर, अपनी कमर पर एक पत्थर बाँधे, समुद्र के तल पर गोता लगाता है तथा वहाँ से मोती प्राप्त करता है, उसी प्रकार हममें से प्रत्येक को वैराग्य द्वारा अपने स्वयं के भीतर गोता लगाना चाहिए तथा आत्मा रूपी मोती प्राप्त करना चाहिए।
मैं कौन हूँ? (19)