रमण महर्षि के उपदेश
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Category: Hindi – हिंदी
उपदेश सारम – रमण महर्षि की शिक्षाएँ – 1
उपदेश सारम – रमण महर्षि की शिक्षाएँ – 1 से 3 रमण महर्षि: शिक्षाओं का सार संस्कृत छंद, अंग्रेजी अर्थ और हिंदी अनुवाद उपदेश सारम – रमणा 1 कर्तुराज्ञया प्राप्यते फलं | कर्म किं परं कर्म तज्जडम || kartur ājñyayā prāpyate phalaṃ karma kiṃ paraṃ karma tajjaḍam Karma must ever yield its proper fruit, […]
मैं कौन हूँ? (23)
मैं कौन हूँ? (23) रमण महर्षि के उपदेश ॐ नमो भगवते श्रीरमणाय मैं कौन हूँ? 23. क्या मुमुक्षु के लिए शास्त्र पढ़ना उपयोगी है? सभी शास्त्र कहते हैं कि मुक्ति पाने के लिए मन को निग्रहित करना चाहिए; इसलिए उनके उपदेशों का सार है कि मन को शान्त करना चाहिए; एक बार इसे समझ लेने […]
मैं कौन हूँ? (22)
मैं कौन हूँ? (22) रमण महर्षि के उपदेश ॐ नमो भगवते श्रीरमणाय मैं कौन हूँ? 22. क्या जाग्रत एवं स्वप्न में कोई भेद नहीं है? जाग्रत की अवस्था दीर्घ तथा स्वप्न की क्षणिक होती है, इसके अतिरिक्त उनमें कोई भेद नहीं है। जाग्रत अवस्था में, जाग्रत की घटनाएँ जितनी सच लगती हैं, उसी प्रकार स्वप्न के समय, […]
मैं कौन हूँ? (20 – 21)
मैं कौन हूँ? (20 – 21) रमण महर्षि के उपदेश ॐ नमो भगवते श्रीरमणाय मैं कौन हूँ? 20. क्या ईश्वर या गुरु किसी जीव को मुक्ति नहीं दे सकते? ईश्वर या गुरु केवल मुक्ति का मार्ग दिखाएँगे, वे स्वयं जीव को मुक्ति की अवस्था तक नहीं ले जा सकते। वास्तव में ईश्वर एवं गुरु भिन्न […]
मैं कौन हूँ? (19)
मैं कौन हूँ? (19) रमण महर्षि के उपदेश ॐ नमो भगवते श्रीरमणाय मैं कौन हूँ? 19. वैराग्य क्या है? जैसे ही विचार उदित हों, उनके स्रोत पर ही, उनका बिना कोई अवशेष छोड़े, उन्हें तुरन्त नष्ट कर देना ही वैराग्य है। जैसे एक गोताखोर, अपनी कमर पर एक पत्थर बाँधे, समुद्र के तल पर गोता लगाता […]
मैं कौन हूँ? (16 – 18)
मैं कौन हूँ? (16 – 18) रमण महर्षि के उपदेश ॐ नमो भगवते श्रीरमणाय मैं कौन हूँ? 16. स्वरूप का स्वभाव क्या है? यथार्थ में जो अस्तित्त्वमान् है, वह केवल आत्मस्वरूप है। जगत्, जीव और ईश्वर इसमें मोती में चाँदी के आभास की भाँति कल्पित प्रतीति हैं। ये तीनों एक ही समय प्रकट होकर, एक […]
मैं कौन हूँ? (13 – 15)
मैं कौन हूँ? (13 – 15) रमण महर्षि के उपदेश ॐ नमो भगवते श्रीरमणाय मैं कौन हूँ? 13. समुद्र की लहरों की भाँति संचित विषय-वासनाओं के असीमित विचार प्रकट होते हैं, वे सब कब नष्ट होंगे? स्वरूप-ध्यान तीव्र होते ही, वे विचार क्रमशः नष्ट हो जाएँगे। 14. क्या आदिकाल से चली आ रही विषय-वासनाओं का […]
मैं कौन हूँ? (9 – 12)
मैं कौन हूँ? (9 – 12) रमण महर्षि के उपदेश ॐ नमो भगवते श्रीरमणाय मैं कौन हूँ? मन के रूप को समझने के लिए अन्वेषण का पथ क्या है? शरीर में, जो ‘मैं’ के रूप में उदित होता है, वह मन है। जब कोई खोज करता है कि सर्वप्रथम ‘मैं’ का विचार शरीर में […]
मैं कौन हूँ? (1 – 8)
मैं कौन हूँ? (1 – 8) रमण महर्षि के उपदेश ॐ नमो भगवते श्रीरमणाय मैं कौन हूँ? सभी जीव दु:ख रहित शाश्वत सुख की इच्छा रखते हैं तथा हर किसी में यह देखा गया है कि उसे स्वयं के प्रति सर्वाधिक प्रेम होता है। सुख ही प्रेम का कारण है, वह सुख जो स्वयं […]
मैं कौन हूँ? – प्रकाशकीय वक्तव्य
मैं कौन हूँ? – प्रकाशकीय वक्तव्य ॐ नमो भगवते श्रीरमणाय प्रकाशकीय वक्तव्य ‘मैं कौन हूँ?’ आत्म-अन्वेषण से जुड़े प्रश्नोत्तर का संग्रह है। ये प्रश्न सन् 1902 में श्री शिवप्रकाशम् पिल्लै द्वारा भगवान् रमण महर्षि से पूछे गए थे। भगवान् उस समय विरूपाक्ष गुफा में मौनावस्था में थे। उन्होंने प्रश्नों के उत्तर लिख कर दिए। प्रश्नोत्तर का […]











