रमण महर्षि के उपदेश : 4 रमण महर्षि के साथ बातचीत बातचीत 127 अमेरिका के इंजीनियर ने पूछा : क्या दूरी का अनुग्रह पर कोई प्रभाव पड़ता है? महर्षि : समय और स्थान हमारे भीतर है। आप हमेशा अपने स्व में हैं। समय और स्थान इसे कैसे प्रभावित करते हैं? भक्त : रेडियो में जो […]
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Category: Hindi – हिंदी
मैं कौन हूँ? (13 – 15)
मैं कौन हूँ? (13 – 15) रमण महर्षि के उपदेश ॐ नमो भगवते श्रीरमणाय मैं कौन हूँ? 13. समुद्र की लहरों की भाँति संचित विषय-वासनाओं के असीमित विचार प्रकट होते हैं, वे सब कब नष्ट होंगे? स्वरूप-ध्यान तीव्र होते ही, वे विचार क्रमशः नष्ट हो जाएँगे। 14. क्या आदिकाल से चली आ रही विषय-वासनाओं का […]
रमण महर्षि के उपदेश : 3
रमण महर्षि के उपदेश : 3 रमण महर्षि के साथ बातचीत बातचीत 524 सोचने के लिए आपका अस्तित्व होना चाहिए। आप इन विचारों या अन्य विचारों को सोच सकते हैं। विचार बदल जाते हैं लेकिन आप नहीं। गुजरते विचारों को जाने दें और अपरिवर्तनशील स्व को पकड़ें।
रमण महर्षि के उपदेश : 2
रमण महर्षि के उपदेश : 2 रमण महर्षि के साथ बातचीत बातचीत 17 भक्त: भ्रम क्या है? महर्षि : किसको भ्रम है? ढूंढ निकालो इसे। फिर भ्रम मिट जाएगा। आमतौर पर लोग भ्रम के बारे में जानना चाहते हैं और इसकी जांच नहीं करते हैं कि यह किसका है। यह मूर्खता है। भ्रम बाहर और अज्ञात है। लेकिन […]
रमण महर्षि के उपदेश : 1
रमण महर्षि के उपदेश : 1 रमण महर्षि के साथ बातचीत बातचीत 3 गहरी नींद में आदमी अपने शरीर सहित संपत्ति से रहित है। दुखी होने के बजाय वह काफी खुश है। हर कोई अच्छी तरह सोना चाहता है। निष्कर्ष यह है कि खुशी मनुष्य में निहित है और बाहरी कारणों से नहीं है। विशुद्ध खुशी के भंडार को खोलने के […]
मैं कौन हूँ? (9 – 12)
मैं कौन हूँ? (9 – 12) रमण महर्षि के उपदेश ॐ नमो भगवते श्रीरमणाय मैं कौन हूँ? मन के रूप को समझने के लिए अन्वेषण का पथ क्या है? शरीर में, जो ‘मैं’ के रूप में उदित होता है, वह मन है। जब कोई खोज करता है कि सर्वप्रथम ‘मैं’ का विचार शरीर में […]
मैं कौन हूँ? (1 – 8)
मैं कौन हूँ? (1 – 8) रमण महर्षि के उपदेश ॐ नमो भगवते श्रीरमणाय मैं कौन हूँ? सभी जीव दु:ख रहित शाश्वत सुख की इच्छा रखते हैं तथा हर किसी में यह देखा गया है कि उसे स्वयं के प्रति सर्वाधिक प्रेम होता है। सुख ही प्रेम का कारण है, वह सुख जो स्वयं […]
मैं कौन हूँ? – प्रकाशकीय वक्तव्य
मैं कौन हूँ? – प्रकाशकीय वक्तव्य ॐ नमो भगवते श्रीरमणाय प्रकाशकीय वक्तव्य ‘मैं कौन हूँ?’ आत्म-अन्वेषण से जुड़े प्रश्नोत्तर का संग्रह है। ये प्रश्न सन् 1902 में श्री शिवप्रकाशम् पिल्लै द्वारा भगवान् रमण महर्षि से पूछे गए थे। भगवान् उस समय विरूपाक्ष गुफा में मौनावस्था में थे। उन्होंने प्रश्नों के उत्तर लिख कर दिए। प्रश्नोत्तर का […]